हम भूल जायें चाहें उसको पर उसका आशीर्वाद हमेशा साथ है
क्योंकि वो हमारा पिता है
हम बेशक हे अपने माता पिता को भुला दें पर वो हर कदम पर हमारा साथ देते हैं
क्या उन माता पिता को भुलाना या उनका अनादर करना ठीक है जिन्होंने हमें जनम दिया आज इस लायक बनाया की हम अपने पैरों पर खड़े हो सकें और संसार के रीती रिवाज और समाज के नियमो को समझ सकें
नहीं
हमें ऐसा नहीं करना चाहिए|
मेरा मानना है की हमें अपने कुछ नियम बनाने चाहिए और उनका पालन खुद हे करना चाहिए जिससे हम जान सकें की हम अपनी इन्द्रियों को कितना वश में कर सकते हैं नियम भी ऐसे जो सरल भी हों और कठिन भी तात्पर्य यह है की नियम कठोर हों पर ऐसे हों जिनका पालन करने से हमें अच्छा महसूस हो|
ॐ नमः शिवाय